96... मूवी जो दिल के बेहद करीब है..आज भी
"जिस्मों पर हक मिल जाते है बेशक रीति रिवाजों से
"रूह"जिसकी दीवानी है उसे ही तो इश्क कहते है"
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"96" ये मूवी आज फिर से देखी....अब तो शायद याद भी नहीं...कितनी बार
आज की इंस्टेंट 2 मिनट्स मैगी वाली पीढ़ियों के तो ऊपर से गुजर जाएगी ये लव स्टोरी…...
प्रेम की तीव्रता....ठहराव....समर्पण...पवित्रता
सब कुछ तो है....
होती है,ऐसी भी अपवाद सी मोहब्बत आज के दौर में भी
जिसके फ़साने नहीं लिखे जाते, न बोले जाते.... न ही सुने जाते..
वो तो सिर्फ..... जिए जाते है....."96" उनकी ही कहानी है
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