चीन के साथ भारत की जलसन्धि न होने से पड़ने वाले प्रभाव

"सिंधु" तिब्बत से निकलती है....अगर चीन ने इसका प्रवाह रोक दिया तो??

भारतीय जानकार कह रहे है ऐसा नहीं होगा इससे भौगोलिक संरचना पर प्रभाव पड़ेगा और विश्व छवि पर असर पड़ेगा और चीन ने सिंधु पर तिब्बत पर कोई बांध भी नही बनाया है

हास्यास्पद कारण है.... जो चीन को जानते है वो जानते है कितनी चिंता करता है चीन भौगोलिक और वैश्विक दबाव की....विश्व ने कोरोना पर चीन को दोषी ठहरा कर क्या उखाड़ लिया....चीन ने जांच तक नहीं करने दी विश्व स्वास्थ्य एजेंसियों को

अब आते है कि चीन ने तिब्बत पर अभी तक बांध नही बनाया है.... हे ज्ञानियों....चीन के पास इतना विकसित तंत्र है कि वो रिकॉर्ड समय में अत्यधिक क्षमता का बांध बना सकता है

अब आते है चीन की मंशा पर....कृपया सतलुज पर चीनी परियोजना पर ध्यान दे विगत कई वर्षो से चीन ने बांध बना सतलुज का प्रवाह धीरे धीरे कम कर दिया है पर मोदी सरकार और मीडिया इस पर खामोश है

सतलुज नदी पर चीन का सबसे बड़ा बांध जदा गॉर्ज में स्थित है। यह एक बैराज है और चीन द्वारा सतलुज नदी पर शुरू की गई अन्य जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है, चीन ने यह बांध पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए बनाया है, जिससे भारत को पानी की कमी हो सकती है, 

सिर्फ इस बांध से ही चीन मे इतनी क्षमता है कि वो सतलुज (जिसे चीन में लैंगकेन जांगबो कहा जाता है) को नियंत्रित कर सकता है पानी के प्रवाह को मोड़ सकता है...जरूरत पड़ने पर एक साथ अत्यधिक जलराशि छोड़ भारत मे कई जगह बाढ़ की तबाही तक ला सकता है

इसके साथ ही चीन और भारत की कोई जलसन्धि भी नहीं है और इसकी भविष्य में इसकी आशंका भी नहीं क्योंकि इसमें चीन का नुकसान होगा और चीन नुकसान का समझौता कभी नहीं करता

इसीलिए मित्रो...मोदी जी ने अभी से सिंधु जल समझौते पर रोक पर धीरे धीरे यू टर्न लेना शुरू कर दिया है...कहने लगे है इसमें "अस्थाई रोक" है

अब आप समझ ले...भाषाओं का और भाषणों का मायाजाल

मै मोदी विरोधी नहीं हूं पर जागरूक जनता से निवेदन है....कृपया तथ्यों की जांच जरूरी है न कि "बोल बचन" पर मुग्ध होने पर

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